Last Updated on 9 September 2023 by Manu Bhai
Shiv Chalisa PDF: हम सभी अपने जीवन में एक परम शक्ति का अनुभव करते हैं, जो हमें संतुष्टि, आनंद, शक्ति और अनंत शांति प्रदान करती है। इसी विचार के साथ भगवान शिव, जिन्हें त्रिमूर्ति का रूप माना जाता है, अर्थात ब्रह्मा , विष्णु और महेश में सबसे परम शक्तिशाली एवं सबसे प्रमुख देवों में से एक हैं। शिव चालीसा हमें उनके अद्वितीय गुणों, महत्वपूर्ण कथाओं और उनके भक्तों की श्रद्धा के बारे में बताती है। इस लेख शिव चालीसा पि डी एफ़ (Shiv Chalisa PDF) में हम इस प्रसिद्ध शिव चालीसा की गहनताओं पर गहराई से विचार करेंगे और उसे उन शब्दों में प्रस्तुत करेंगे जो आपको अधिक ज्ञानपूर्ण और आत्मीय महसूस कराएंगे।
शिव चालीसा भगवान भोलेनाथ को समर्पित एक अत्यधिक प्रभावशाली स्तुति है जिसके नियमित पाठ से व्यक्ति विभिन्न प्रकार के आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करता है। शिव को भोलेनाथ के रूप में, जो काल के काल महाकाल कहलाते हैं, भी पूजा जाता है। यह चालीसा शिव की गुणगान करती है और उनकी कृपा को प्राप्त करने का अनुरोध करती है। इस लेख के माध्यम से आप श्री शिव चालीसा PDF या Shiv Chalisa Lyrics PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। इसी लेख में नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप उस PDF फ़ाइल को डाउनलोड कर सकते हैं। Shiv Chalisa In Hindi Pdf.
Shiv Chalisa PDF: शिव चालीसा का भक्ति भाव के साथ पठन का महत्व
शिव चालीसा एक प्राचीन शिव स्तुति मंत्र है जिसे प्रतिदिन भक्ति से मन लगाकर पढ़ने से भक्त शिव जी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह मंत्र शिव भक्ति के साथ एकाग्रता को बढ़ाता है और मन को शांति प्रदान करता है। शिव चालीसा में वर्णित शब्दों का पाठ करने से हम अपनी आत्मा को शिव जी के उपासना में समर्पित करते हैं और भक्ति के माध्यम से उनके अनंत गुणों का आनंद लेते हैं।
Shiv Chalisa PDF: शिव चालीसा में शिव जी की महिमा
शिव चालीसा के विभिन्न दोहे, छाप, और श्लोकों में शिव जी की महिमा का वर्णन बहुत ही सुन्दर रूप में किया गया है। यह मंत्र उनकी शक्तियों, सौंदर्य, और दया के बारे में अद्वितीय ज्ञान प्रदान करता है। शिव चालीसा के पाठ के माध्यम से हम शिव जी के प्रत्येक अवतार, महादेव के अद्वितीय गुण और उनके शक्तिशाली वरदानों के बारे में अधिक विस्तार से जान सकते हैं। यह मंत्र हमें शिव जी की उपासना के लिए प्रेरित करता है और हमारे जीवन में धार्मिकता, आत्मविश्वास और शांति लाता है।
शिव चालीसा पाठ का विधान
इस लेख Shiv Chalisa Pdf में हम आपको बताएँगे कि आप विधिपूर्वक शिव चालीसा पाठ कैसे कर सकते हैं ? शिव चालीसा को प्रातः काल में एकाग्रता के साथ पढने से आप पर भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद विशेष रूप से बना रहता है, एवं सिद्धि प्राप्त किया जा सकता है। इस मंत्र को पढते समय हमें उच्चारण में ध्यान देना चाहिए और शिव जी की उपासना के दृष्टिकोण से पढना चाहिए। यह मंत्र श्रद्धा और समर्पण के साथ पढने पर हमें आध्यात्मिक ऊर्जा और धार्मिक अनुभव प्राप्त होता है।
शिव चालीसा का आध्यात्मिक लाभ / Benefits Of Shiv Chalisa
शिव चालीसा के पाठ से हमें आध्यात्मिक और मानसिक लाभ की प्राप्ती होती है। शिव चालीसा मंत्र हमारे मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है और हमें भगवान भोलेनाथ की आनंदमय दया का अनुभव कराता है। प्रतिदिन अथवा प्रत्येक सोमवार को शिव चालीसा पढने से हमारा मन शुद्ध रहता है और हम उच्च स्तर की चित्त शक्ति और अवतारण का अनुभव करते हैं। इस मंत्र की शक्ति से हम अशांति, संकट और नकारात्मक ऊर्जा को परास्त कर सकते हैं एवं इसके प्रभाव से आनंद और आत्मविश्वास के साथ जीवन को जीते हैं।
इस प्रकार, भगवान शिव की चालीसा उनके भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण शक्तिशाली मंत्र है जो आध्यात्मिक और मानसिक संतुष्टि को प्रदान करता है। इसे नियमित रूप से पढने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद मिलता है और हम उनके अद्वितीय गुणों का अनुभव करते हैं। आइए, हम सभी मिलकर शिव चालीसा को नियमित रूप से पढने और उनकी अनुग्रह प्राप्ति का आनंद लें।
मेरी यह सलाह है कि आप विभिन्न साधु-संतों, मंदिरों और आध्यात्मिक संस्थानों में शिव चालीसा के पाठ का आयोजन करें और शिव जी की कृपा को प्राप्त करें।
शिव चालीसा के लाभ
शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से हमें विशेष आध्यात्मिक और मानसिक लाभ मिलता है। यहां हम इस पाठ के कुछ महत्वपूर्ण लाभों को देखेंगे:
- शांति और स्थिरता: शिव चालीसा के पठन से हमारा मन शांत होता है और हम अपने जीवन में स्थिरता का अनुभव करते हैं। यह हमें तनाव और चिंता से मुक्ति प्रदान करता है और हमें शांति की अनुभूति करवाता है।
- आध्यात्मिक और मानसिक लाभ: शिव चालीसा के पाठ से हमें आध्यात्मिक और मानसिक उन्नति होती है। हम अपने आंतरिक स्वरूप को समझते हैं, अपने दोषों से परे निकलते हैं, और अपनी आध्यात्मिक प्रगति के लिए प्रेरित होते हैं।
- उच्च चित्त शक्ति और अवतारण: शिव चालीसा के पठन से हमारी चित्त शक्ति ऊँची होती है और हम अपनी सामर्थ्य का अनुभव करते हैं। हम संघर्षों को सामने लेकर उच्चतम स्तर पर आगे बढ़ते हैं और अपनी क्षमताओं को प्रकट करते हैं।
- भगवान शिव की कृपा: शिव चालीसा के पाठ से हम भगवान शिव की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं। वह हमें आशीर्वाद देते हैं, हमारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, और हमें अपनी दया से आवृत करते हैं।
शिव चालीसा का पाठ कैसे करें
शिव चालीसा का पाठ करने के लिए आप निम्नलिखित निर्देशों का पालन कर सकते हैं:
- प्रारंभ में, शुद्ध मन और शुद्ध हृदय से शिव जी के सामर्थ्य की आराधना करें।
- अपने मन को स्थिर और ध्यानित करें। अपने आसान या पूजा स्थल में बैठें।
- शिव चालीसा की प्रारंभिक पंक्तियों को ध्यान से पठें और उनका अर्थ समझें। इससे आपका मन शिव जी के प्रति अवगत होगा।
- अपनी भक्ति और श्रद्धा के साथ शिव चालीसा को पूरी तरह से पठें। ध्यान दें कि हर शब्द को सही उच्चारण के साथ पठें और मन्त्र की महिमा को समझें।
- शिव चालीसा को नियमित रूप से पठने का प्रयास करें, शुरुआत में आप धीरे-धीरे अधिक आसानी से पठने में सक्षम हो जाएंगे।
शिव चालीसा के पाठ को नियमित रूप से करने से हमें आध्यात्मिक और मानसिक लाभ मिलता है और हम भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति को स्थायी रूप से प्रगट करते हैं। इस प्रकार, हमारे जीवन में आनंद, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इसलिए, आप सभी से अनुरोध करते हैं कि शिव चालीसा को नियमित रूप से पठें और शिव जी के आशीर्वाद का लाभ उठाएं।
शिव चालीसा का पाठ
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।
सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।
जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई।
संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।
ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।
अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही,पाठ करो चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश॥
मगसिर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान।
स्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण॥
Shiv Chalisa Lyrics in English
|| Om Shree Ganeshaya Namah ||
|| Doha ||
Jai Ganesh Girija Suvan, Mangal Mool Sujaan |
Kahat Ayodhyadas Tum, Dehu Abhay Varadaan ||
|| Chaupai ||
Jai Girija Pati Deen Dayaala | Sada Karat Santan Pratipaala ||
Bhaal Chandrama Sohat Neeke | Kaanan Kundal Naagaphani Ke ||
Ang Gaur Shir Gang Bahaaye | Mundamaal Tan Kshaar Lagae ||
Vastra Khaal Baaghambar Sohe | Chhavi Ko Dekhi Naag Man Mohe ||
Maina Maatu Ki Hvai Dulaari | Baam Ang Sohat Chhavi Nyaari ||
Kar Trishool Sohat Chhavi Bhaari | Karat Sada Shatrun Kshayakaari ||
Nandi Ganesh Sohai Tahan Kaise | Saagar Madhya Kamal Hain Jaise ||
Kaartik Shyaam Aur Ganarau | Ya Chhavi Ko Kahi Jaat Na Kau ||
Devan Jabaheen Jaay Pukaara | Tab Hi Dukh Prabhu Aap Nivaara ||
Kiya Upadrava Taarak Bhaari | Devan Sab Mili Tumahin Juhaari ||
Turat Shadaanan Aap Pathaayu | Lavanimesh Mahan Maari Giraayu ||
Aap Jalandhar Asur Sanhaara | Suyash Tumhaar Vidit Sansaara ||
Tripuraasur San Yuddh Machai | Sabahin Kripa Kar Leen Bachai ||
Kiya Tapahin Bhagirath Bhaari | Purab Pratigya Taasu Puraari ||
Daanin Mahan Tum Sam Kou Naaheen | Sevak Stuti Karat Sadaaheen ||
Ved Maahi Mahima Tum Gai | Akath Anaadi Bhed Nahin Pai ||
Prakati Udadhi Manthan Mein Jvaala | Jarat Suraasur Bhe Vihaala ||
Keenhi Daya Tahan Kari Sahai | Neelakanth Tab Naam Kahai ||
Poojan Raamachandra Jab Keenha | Jeet Ke Lank Vibheeshan Deenha ||
Sahas Kamal Mein Ho Rahe Dhaari | Keenh Pareeksha Tabahin Puraari ||
Ek Kamal Prabhu Raakheu Joi | Kamal Nayan Poojan Chahan Soi ||
Kathin Bhakti Dekhi Prabhu Shankar | Bhe Prasanna Die Ichchhit Var ||
Jai Jai Jai Anant Avinaashi | Karat Kripa Sab Ke Ghatavaasi ||
Dushta Sakal Nit Mohi Sataavai | Bhramat Rahaun Mohi Chain Na Aavai ||
Traahi Traahi Main Naath Pukaaro | Yehi Avasar Mohi Aan Ubaaro ||
Lai Trishul Shatrun Ko Maaro | Sankat Se Mohi Aan Ubaaro ||
Maat-Pita Bhraata Sab Hoi | Sankat Mein Poochhat Nahin Koi ||
Svaami Ek Hai Aas Tumhaari | Aay Harahu Mam Sankat Bhaari ||
Dhan Nirdhan Ko Det Sada Heen | Jo Koi Jaanche So Phal Paaheen ||
Astuti Kehi Vidhi Karain Tumhaari | Kshamahu Nath Ab Chook Hamaari ||
Shankar Ho Sankat Ke Naashan | Mangal Kaaran Vighna Vinaashan ||
Yogi Yati Muni Dhyaan Lagaavain | Shaarad Naarad Sheesh Navaavain ||
Namo Namo Jai Namah Shivay | Sur Brahmaadik Paar Na Paay ||
Jo Yah Paath Kare Man Lai | Ta Par Hot Hai Shambhu Sahai ||
Rhniyaan Jo Koi Ho Adhikaari | Paath Kare So Paavan Haari ||
Putra Hon Kar Ichchha Joi | Nishchaya Shiv Prasad Tehi Hoi ||
Pandit Trayodashi Ko Laave | Dhyaan Poorvak Hom Karaave ||
Trayodashi Vrat Karai Hamesha | Taake Tan Nahin Rahai Kalesha ||
Dhoop Deep Naivedya Chadhaave | Shankar Sammukh Paath Sunaave ||
Janm Janm Ke Paap Nasaave | Ant Dhaam Shivapur Mein Paave ||
Kahain Ayodhyadas Aas Tumhaari | Jaani Sakal Duhkh Harahu Hamaari ||
|| Doha ||
Nitta Nem Kar Praatah Hi, Path Karaun Chalisa |
Tum Meri Manokaamana, Poorna Karo Jagadeesh ||
Magasar Chhathi Hemant Ritu, Sanvat Chausath Jaan |
Astuti Chalisa Shivahi, Poorn Keen Kalyaan ||
|| Om Namah Shivaya ||
भगवान शिव की आरती
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
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